Wednesday, September 3, 2008

पृथ्वी पर हुआ ब्रह्माण्ड भक्षियों का हमला (और उससे भी बढ़कर कुछ...) मैन्ड्रेक ने टाला संकट (इंद्रजाल कॉमिक्स से एक जबरदस्त कहानी)

[Update - 03/Sep/2008, 08:20 PM]
इस कॉमिक्स का डाउनलोड लिंक लगा दिया है ( कृपया इमेज थंबनेल्स के नीचे देखें). अब आप कॉमिक्स को अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड करके भी पढ़ सकते हैं.

अरविन्द मिश्र जी ने पिछली पोस्ट में मैन्ड्रेक की मांग की थी. लीजिये एक और मैन्ड्रेक कथा का मजा लीजिये. इस बार की प्रस्तुति है वर्ष १९७९ से एक बेहद रोचक कथा "ब्रह्माण्ड भक्षी".

मैन्ड्रेक की कहानियो में विज्ञान गल्प का बड़ा ही मजेदार मिश्रण देखने को मिलता है, साथ ही कल्पना की ऊंची उड़ान भी. सम्राट मेगनान का दस लाख ग्रहों पर शासन है. वह और मैन्ड्रेक मित्र हैं और उन्हें एक-दूसरे की मदद की आवश्यकता पड़ती रहती है. तीस हजार प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक गेलेक्सी में बसे इन लोगों का विज्ञान, धरती के विज्ञान से पचास हजार वर्ष आगे का है.

इस कहानी में मेग्नान शासित एक ग्रह पर अति विशालकाय जीव आक्रमण कर देते हैं. ये जीव पूरे ग्रह के खनिज पदार्थों को चूस कर उसे खोखला कर देने में सक्षम हैं. किसी तरह इन पर काबू पाया जाता है पर बड़ी मुश्किल तब आती है जब इनमें से कुछ जीव पृथ्वी की और रुख कर लेते हैं. पृथ्वी मेग्नान के साम्राज्य का अंग नहीं है लेकिन वह मैन्ड्रेक और उसके परिवार के लिए चिंतित होकर अपने एक केप्तेन नौर्क को पृथ्वी की रक्षा के लिए भेजता है.

होता यह है कि विशाल जीव तो पृथ्वी तक पहुँचने से पहले अपना रास्ता बदल लेते हैं और संकट अपने आप टल जाता है पर नौर्क ख़ुद एक समस्या बन जाता है. अपने अति आधुनिक हथियारों के बल पर वह पूरी पृथ्वी को जीत कर उसका शासक बन जाने का सपना देखने लगता है. चूंकि उसका विज्ञान (और हथियार) पृथ्वी से हजारों वर्ष आगे का है, संकट बड़ा रूप ले लेता है. आखिरकार मैन्ड्रेक उसे कैसे काबू करता है, ये आप पढिये.

इंद्रजाल कॉमिक्स न. ३३४ (वर्ष १९७९)

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(६.८ MB केवल)

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20 टिप्पणियां:

Arvind Mishra said...

शुक्रिया आपने मेरी फरमाईश पूरी की ......आज ही इस अंक को मंगवाता हूँ -

Übermann said...

प्रिय वेताल शिखर, मैन्ड्रक की कामिक्स हमारे साथ बांटने के लिए आपका अत्यधिक धन्यवाद !

ईश्वर आप पर अपनी अनुकम्पा बनाये रखे ऐसी हमारी कामना है|

seema gupta said...

"its really enjoyable to read these story's, waiting for next epesode"
Regards

Kalp Kartik said...

प्रियवर,

इस अंक की डाउनलोड लिंक प्रतीक्षित है. बहुत बहुत
धन्यवाद.

संजय बेंगाणी said...

धन्यवाद

Satish Saxena said...

वाह ! मज़ा आ गया ! धन्यवाद !

Gyan Dutt Pandey said...

एकमुश्त डाउनलोड कहां है मित्र?!

दिनेशराय द्विवेदी said...

मजा आया मगर अधूरा। ज्ञानदत्त जी के सवाल का जवाब मुझे भी चाहिए।

वेताल शिखर said...

अरविन्द जी: आपका स्वागत है. पेपर कॉपी पर पढने का तो मजा ही कुछ और होता है.

वेताल शिखर said...

Übermann: अरे वाह. बड़ा बढ़िया लगा यहाँ देखकर. आते रहो मित्र.

वेताल शिखर said...

सीमा गुप्ता जी: आपको कॉमिक्स पसंद आयी, जानकर प्रसन्नता हुई. आपका स्वागत है.

वेताल शिखर said...

कल्प कार्तिक जी: आपका स्वागत है. डाउन लोड लिंक दे रहा हूँ.

वेताल शिखर said...

संजय बेंगाणी जी: स्वागत.

वेताल शिखर said...

सतीश सक्सेना जी: धन्यवाद. स्वागत है.

वेताल शिखर said...

ज्ञानदत्त पाण्डेय जी: लिंक जारी कर रहा हूँ. सुबह नहीं दे सका था.

वेताल शिखर said...

दिनेशराय द्विवेदी जी: लीजिये अब पूरा मजा उठाइए, लिंक दे रहा हूँ.

HojO said...

THIS IS One-of-d BEST among Mandrake's Central Galactic Adventures,also this was my 1st ever Magnon story,read first time in 1992 and since then I'm fascinated abt ANY of these adventures! :-)

PS - Is this a Re-post as it's like I'd seen this Hindi version earlier??(or am mixing wid another title!)

वेताल शिखर said...

dara Yes, this is one of the best. No doubt about it. And this is surely a repost as I had posted it in my TPH blog before. Just wanted to share it with Hindi blog world also and thought a few words about the story together with link would be better.

Good observation. :-)

arun prakash said...

aapne purani yaadein taaja kar di bachpan ki yadein lauta di thanx

Rutchee said...

atyant sundar prayas. .
ek poori peedhi jeevant kar di hai aapne yahaan is chiththe par..

Aapki ichchha shakti kabil-e-tarif hai...