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Tuesday, August 26, 2008

जादूगर मैन्ड्रेक और लोथार पक्षी मानवों की रहस्यमय घाटी में (इंद्रजाल कॉमिक्स वर्ष १९८० से)

जादूगर मैन्ड्रेक, ली फाक का रचा हुआ एक और अत्यन्त लोकप्रिय चरित्र है. इसकी कहानियाँ भी पूरी दुनिया में बड़े चाव से पढ़ी जाती हैं. फैंटम से भी दो वर्ष पूर्व सन १९३४ में पहली बार इसके कारनामे डेली कॉमिक स्ट्रिप के रूप में समाचार पत्रों में छपना प्रारम्भ हुए और तुंरत ही बेहद मशहूर हो गए.

शुरू-शुरू में मैन्ड्रेक के पास वाकई में जादुई शक्तियां हुआ करती थीं लेकिन बाद में इसे ज्यादा रोचक बनाने और (किसी हद तक) वास्तविकता का पुट देने के लिए जादू को सम्मोहन से बदल दिया गया.

प्रस्तुत कथा इंद्रजाल कॉमिक्स में सन १९८० में प्रकाशित हुई थी. मेरी अपनी स्मृति इस कॉमिक विशेष से खास तौर पर जुडी हुई है. मेरी उम्र उस वक्त आठ वर्ष थी. पास के बुक स्टोर से मैंने ये कॉमिक ख़रीदी और मेरी इस खरीद से अनजान मेरे बड़े भाईसाहब भी उसी दिन किसी और दुकान से यही कॉमिक खरीद कर ले आए. इस तरह हमारे पास दो कॉपीस हो गयीं जो कई बरस तक संभाल कर रखी रहीं लेकिन बाद में दोनों खो गयीं. कोई चार-पाँच साल पहले मुझे एक दुकान पर ये कॉपी (जिसके स्केन्स यहाँ हैं) दिखी जो मैंने तुंरत खरीद ली. पुरानी सारी यादें एकदम उभरकर सामने आ गयीं.

आप भी आनंद लीजिये इस मैन्ड्रेक कथा का.

इंद्रजाल कॉमिक्स अंक ३४४ (वर्ष १९८०)

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