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Sunday, November 22, 2009

मौत की पुकार - अष्टांक गिरोह से मैण्ड्रेक की मुठभेड़ (वर्ष १९८५ से एक इन्द्रजाल कॉमिक्स)

रहस्य की तमाम पर्तों के बीच दबा हुआ एक गुमनाम सा अपराधी संगठनसैकड़ों वर्षों से आमजन की जानकारी से सर्वथा परे रहकर गुप्त रूप से अपनी गतिविधियों को संचालित करता हुआ. ली फ़ॉक ने अपनी कई कहानियों को इस प्रकार के कथानक के इर्द-गिर्द बुना है. वेताल और मैण्ड्रेक, दोनों का ही सामना ऐसे रहस्यमय और खूंख्वार गिरोहों से लगातार होता रहा है. हमारी आज की कहानी एक ऐसे ही संगठन से मैण्ड्रेक की मुठभेड़ की दास्तां बयान करती है.

ये वो अपराधी गिरोह है जिसे हम "अष्टांक" के नाम से जानते हैं. मैण्ड्रेक की दुनिया में इसका आगमन तब हुआ जब उसकी प्रेयसी नारडा ने अनजाने में ही एक पुस्तकालय में इस प्राचीन गिरोह के अस्तित्व की जानकारी हासिल कर ली. नारडा की उत्सुकता तब और भी बढ़ गयी जब उसने जाना कि इस गिरोह के कारनामों का हल्का-फ़ुल्का सा जिक्र प्रत्येक शताब्दी में मिलता रहता है. यहां तक कि द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान भी इसके सद्स्यों द्वारा लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिये जाने की बात सामने आती है. तो क्या आज के समय में भी इस संगठन का कारोबार गति पर है?

गिरोह से अपनी पहली मुठभेड़ के दौरान मैण्ड्रेक और लोथार उसकी एक विंग को तबाह कर देते हैं. लेकिन अभी और भी कई कड़ियां बाकी हैं. सबसे मुश्किल है गिरोह के सरगना तक पहुंचना क्योंकि यह कुटिल और बेहद चालाक अपराधी केवल रेडियो संपर्क पर रहता है. उस पर हाथ डालना बेहद कठिन है. आज की कहानी में दूसरी मुठभेड़ का किस्सा है. आइये देखते हैं.

कहानी

अपने पूर्णत: सुरक्षित आवास "ज़नाडू" में लम्बे समय के बाद हासिल हुई छुट्टी का आनंद लेते मैण्ड्रेक की नजर अखबार की उस खबर पर अटक जाती है जिसमें एक दुर्घटनाग्रस्त बैंक लुटेरे का चित्र छपा है. उसके कोट की बांह पर टंका हुआ बटनके अंक को दर्शा रहा है. अष्टांक का सूत्र हासिल करने की उम्मीद से मैण्ड्रेक एक नये मिशन पर लगता है. इंटर-इंटेल के विशाल कम्प्यूटर से उसे जानकारी हासिल होती है कि मारा गया अपराधीरूडीनामक एक छोटा-मोटा गुंडा था. वहीं से उसकी प्रेमिकाबबलीका पता चलता है. बबली से मैण्ड्रेक और लोथार की मुलाकातअष्टांकसे छुपी नहीं रहती और वे अपराधी एक बार फ़िर इन दोनों को समाप्त करने के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं.

एक के बाद दूसरा सूत्र पकड़कर मैण्ड्रेक लगातार अष्टांक के करीब पहुंचता जाता है. गिरोह उसे पकड़ने के लिये जाल बिछाता है और वे आखिर मैण्ड्रेक को अपने कब्जे में करने में सफ़ल हो जाते हैं. उसे एक विद्युत कुर्सी पर कस दिया जाता है और जानकारी उगलवाने के लिये टॉर्चर किया जाता है. अष्टांक को मैण्ड्रेक की सम्मोहिनी शक्तियों की पूरी जानकारी है और इसी लिये उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर रखा गया है. इधर नारडा और लोथार, मैण्ड्रेक की खोज में है.

देखने से लाचार मैण्ड्रेक अपनी श्रवण इन्द्रिय का प्रयोग करता है और बाह्य ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित कर अपने कैदखाने की लोकेशन का अंदाजा लगा लेता है. टेलीपैथी संदेश की मदद से वह लोथार को अपनी स्थिति की जानकारी देता है. मानसिक संदेश का पीछा करते हुए लोथार और नारडा उस तक जा पहुंचते हैं. पिछली बार की तरह एक बार फ़िर अष्टांक के मंसूबे नाकामयाब होते हैं और उनका एक और विंग काल के गाल में समा जाता है.

बाकी आप खुद पढ़ें और आनंद लें.




छुट-पुट

. यह कहानी पहली बार एक दैनिक कॉमिक स्ट्रिप के रूप में समाचार पत्रों में अगस्त १९६५ से फ़रवरी १९६६ के मध्य प्रकाशित हुई थी.
. इन्द्रजाल कॉमिक्स में इसका पहली बार प्रकाशन सन १९७१ में हुआ (अंक १४४, ’मैण्ड्रेक की मौत का फ़ैसला’ में).
. प्रस्तुत अंक (V22N47), इन्द्रजाल कॉमिक्स में इस कहानी का पुन: प्रकाशन था जो कि सन १९८५ में हुआ था.
. अपने उद्गम से लेकर वर्तमान स्वरूप तक पहुंचने में लोथार के चरित्र ने कई पड़ावों को पार किया है. सन १९३४ में जब मैण्ड्रेक का चरित्र पहली बार सामने आया था तो लोथार को उसके शक्तिशाली लेकिन भोंदू सेवक के रूप में प्रस्तुत किया गया था. बदलते वक्त के साथ लोथार में भी बदलाव आये और फ़िर ली फ़ॉक ने उसके चरित्र को बेहतर आधार देते हुए उसे एक अफ़्रीकी कबीले का राजकुमार दर्शाया. मैण्ड्रेक को उसके अभिन्न मित्र के रूप में बदला गया. सामाजिक परिवर्तनों की झलक उस दौर की कहानियों में आसानी से देखी जा सकती है.

लोथार से सम्बन्धित एक मजेदार बात यहां इस कहानी को लेकर बांटना चाहूंगा. अपने प्रथम प्रकाशन में लोथार वही पुरानी ड्रेस, यानि चीते की खाल, निकर और टोपी में नजर आता है. लेकिन बाद के अंक में पुराने चित्रों में ही सुधार करते हुए लोथार को टी-शर्ट और फ़ुल पैंट पहनाकर स्मार्ट बनाया गया. संलग्न चित्रों में आप इन बदलावों को स्पष्ट देख सकते हैं.

१९७१ अंक
१९८५ अंक







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Saturday, March 7, 2009

"अंधेरों की रानी" के मोहक मायाजाल में फ़्लैश गोर्डन

इन्द्रजाल कॉमिक्स के सर्वाधिक लोकप्रिय चरित्रों में फ़्लैश गोर्डन का नाम शामिल किया जाता है. इस अंतरिक्ष-यात्री नायक की कहानियां विज्ञान फ़ंतासियों में बेहतरीन गिनी जाती हैं. इन कहानियों पर आधारित कई फ़िल्में एवं धारावाहिक भी बन चुके हैं. सत्तर के दशक में जब मानव मन की जिज्ञासा और नयी खोजों के प्रति उसकी निरन्तर बढ़ती क्षुधा दुनिया के समक्ष गहन अंतरिक्ष के नित नये द्वार खोल रही थी, तब इन कल्पनाशील कहानियों को पढ़ना एक अलग ही रोमांचक अनुभव होता था.

आज की कहानी है वर्ष १९८५ से "अंधेरों की रानी". आइये पढ़ते हैं:

कहानी:
मोंगो गृह का क्रूर और अत्याचारी शासक मिंग एक रहस्यमय बीमारी की चपेट में आकर बेहोशी की अवस्था में बिस्तर पकड़ गया है. कुछ ऐसी व्यवस्था की गयी है कि जब तक इस अज्ञात रोग का इलाज नहीं ढूंढ लिया जाता, उसे बेहोश रखा जा सकता है. स्वभावतः दयाहीन और दमनकारी मिंग को किसी मानव पर भरोसा नहीं है और उसके स्वास्थ्य पर निगरानी रखने का जिम्मा पूरी तरह स्वचालित मशीनों पर ही है. मिंग की अनुपस्थिति में उसका अपना सृजन अर्ध-मानव, अर्ध-रोबोट क्लाइटस, राजगद्दी सम्भाले हुए है.

अपने शासनकाल में मिंग ने अनेक गृहों पर आकृमण कर वहां से लूट कर अकूत सम्पदा एकत्र की है. मिंग की बहन चुड़ैल रानी अजूरा इस सम्पत्ति, जिसे किसी गोपनीय स्थान पर छुपाया गया है, में अपना हिस्सा चाहती है. वह क्लाइटस को सुझाव देती है कि मिंग को मरने दिया जाये और उसकी दौलत वे आपस में बांट लें. प्रकटतः क्लाइटस इसका विरोध करत है और कहता है कि वह मिंग के हितों की रक्षा के लिये ही बनाया गया है, परन्तु वास्तव में उसका विचार स्वयं पूरी सम्पत्ति पर अकेले कब्जा जमाने का है. आखिर वह मिंग जैसे कुटिल मस्तिष्क की उपज है. क्रूरता और नीचता में वह अपने स्वामी मिंग की ही तरह है. अजूरा और क्लाइटस में टकराव होता है और अपने जादू के बल पर रानी अजूरा उसे पत्थर का कर देती है.

लेकिन अपने दुश्मनों के बीच अंधेरों की रानी के नाम से विख्यात चुड़ैल रानी अजूरा के भीतर भी कहीं एक इन्सान का दिल धड़कता है. उसकी दो विशेष ख्वाहिशें हैं - एक, अपने राज्य की गरीब जनता तक खुशहाली पहुंचाना और दूसरे फ़्लैश गॉर्डन का प्यार पाना, जिसे उसने डेल आर्डन के हाथों खो दिया है. डेल में उसे अपना प्रतिद्वंदी नजर आता है.

इधर फ़्लैश और साथी एक अजीब उलझन में हैं. अपने पुराने शत्रु मिंग की इस अवस्था से शायद उन्हें लाभ होना चाहिये, लेकिन इन परिस्थितियों में कुछ नई समस्याएँ जन्म लेने लगी हैं. मोंगो गृह के सामंत और कबीले अपना-अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिये वर्चस्व की लड़ाई में कूद पड़े हैं. ऐसे में सबसे बड़ी आपदा आम जनता को झेलनी पड़ रही है. फ़्लैश नहीं चाहता कि इस प्रकार की स्थिति निर्मित हो और आगे पनपे. वह अजूरा से सम्पर्क करता है, हालांकि डेल की ऐसी इच्छा नहीं है.

अजूरा, पृथ्वी से अतींद्रिय शक्तियों के स्वामी किशोर 'विली' को बुलवा लेती है. ब्रह्माण्ड के तीन महा शक्तिशाली मस्तिष्क मिलकर उस खजाने को हासिल कर लेंगे, ऐसा उसका विश्वास है. अपनी जादुई शक्ति से वह पता लगा लेती है मिंग का खजाना, मोंगो के एक छोटे से उपगृह 'क्रोमाग' पर छुपाया गया है. अजूरा फ़्लैश और विली, खजाने की खोज में निकलने की तैयारी कर रहे हैं.

इस बीच क्लाइटस पर चलाये गये मंत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है और वह सामान्य अवस्था में आ जाता है. क्लाइटस बुरी तरह भन्नाया हुआ है और बदला लेने के लिये बेताब है. अपनी स्वयं की अगुवाई में वह एक शक्तिशाली सेना लेकर अजूरा के राज्य पर आक्रमण कर देता है. फ़्लैश, अजूरा और विली अपनी सम्मिलित मानसिक शक्तियों का सहारा लेकर क्लाइटस के हवाई बेड़े को भ्रमित कर प्रथम आक्रमण को निष्फ़ल कर देते हैं. अब फ़्लैश और क्लाइटस का आमना-सामना होता है. फ़्लैश की स्थिति कमजोर पड़ रही है क्योंकि एक अति शक्तिशाली अर्ध-मानव की शारीरिक शक्ति का मुकाबला करना कठिन है. अजूरा और विली चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर पा रहे हैं. दूसरे फ़्लैश भी अकेले दम पर उससे निबटना चाहता है.

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जरा रुकिये - यहां कहानी अपने क्लाईमैक्स तक पहुंच चुकी है. जो मित्र स्वयं इस कॉमिक्स का आनन्द उठाना चाहते हैं, उनके लिये चेतावनी है कि आगे का हाल पढ़ना उनका मजा खराब कर सकता है. उन्हें चाहिये कि वे कॉमिक्स डाउनलोड कर स्वयं इस रोचक कथा का अंत जानें. बाकी मित्र पढ़ना जारी रख सकते हैं.
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क्लाइटस की फ़ौलादी पकड़ में फ़्लैश का दम घुट रहा है. पर ऐन वक्त पर वह अपनी समस्त मानसिक शक्तियाँ बटोर कर सार्वत्रिक सत्ता के स्त्रोत का आवाह्न करता है और क्लाइटस पर आक्रमण करता है. मिंग के नापाक इरादों का सृजन क्लाइटस नष्ट हो जाता है. उधर फ़्लैश के साथी डॉ. जा़रकोव एक शांति-मिशन पर मोंगो पहुंचते हैं और मिंग का इलाज प्रारम्भ करते हैं. यह जानकर वे तथा अन्य साथी आश्चर्य से भर जाते हैं कि क्रूर मिंग को केवल 'जु़काम' हुआ था और चूंकि मोंगो गृह वासियों के शरीर में इसकी प्रतिरक्षा मौजूद नहीं है तो इस नयी बीमारी के लक्षणों से डरकर मिंग ने स्वयं को मशीनों के हवाले कर दिया था. डॉ. जा़रकोव की दवा से मिंग को आराम आ जाता है और वह पुनः गद्दी सम्भाल लेता है. तो इस प्रकार इस मिशन का अंत होता है जिसमें फ़्लैश और सहयोगी, परिस्तिथिवश, अपने दुश्मन मिंग की मदद करने पर बाध्य होते हैं. लेकिन मिंग के खजाने में अपना हिस्सा प्राप्त करने के अजूरा के सपने का अभी अंत नहीं हुआ है. विली वापस पृथ्वी पर लौट जाता है पर अजूरा, फ़्लैश को खजाने की खोज में चलने के लिये मना रही है. क्या फ़्लैश मानेगा?


(32 pages, 1200 px wide, 10.5 MB)

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