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Sunday, January 18, 2009

"रेगिस्तानी लुटेरे" - जासूस रिप किर्बी की एक रोचक कहानी - १९८२ से एक इन्द्रजाल कॉमिक्स

इन्द्रजाल कॉमिक्स के पुराने पाठकों को शायद निजी जासूस रिप किर्बी की याद होगी. सम्भ्रान्त और कुलीन नजर आने वाले ये तेज दिमाग शख्स हमेशा आँखों पर मोटे फ़्रेम का चश्मा और हाथों में एक लम्बे से पाइप के साथ नजर आते थे. साथ ही मौजूद होता था इनका सहायक डेसमण्ड (जो इनका खानसामा भी होता था). डेसमण्ड कभी ऊंचे दर्जे का चोर रह चुका था और हाथ की सफ़ाई में बेहद माहिर था, हालांकि इन बुरी आदतों को वह किर्बी साहब की सोहबत में आने पर कभी का छोड़ चुका था.


जॉन प्रेंटिस
रिप किर्बी चरित्र की कल्पना १९४६ में किंग फ़ीचर्स सिंडीकेट के संपादक वार्ड ग्रीन ने की थी. उन्होंने उस वक्त के ख्याति प्राप्त कॉमिक रचनाकार एलेक्स रेमण्ड (फ़्लैश गोर्डन फ़ेम) को अपना विचार बताया. दोनों ने मिलकर  इस चरित्र को वास्तविकता में ढाला. मार्च १९४६ से प्रारम्भ हुई रिप किर्बी की यात्रा १९९९ तक जारी रही. कई कलाकारों ने इन कहानियों पर कार्य किया लेकिन इनमें प्रमुख तौर पर जॉन प्रेंटिस का नाम आता है जिन्होंने १९५६ में एलेक्स रेमण्ड की अचानक मौत के बाद से किर्बी की कहानियों के चित्रांकन का दायित्व संभाला और अंत तक वे ही इसे निभाते रहे. प्रेंटिस की स्टायल अपने आप में शानदार है. वे किरदारों के चेहरों को बड़ी बारीकी से उकेरते हैं.

तो आज पढ़ते हैं रिप किर्बी की एक इन्द्रजाल कॉमिक्स, "रेगिस्तानी लुटेरे". यह १९८२ का प्रकाशन है.


 डाउनलोड करें "रेगिस्तानी लुटेरे" - रिप किर्बी, वर्ष १९८२
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कॉमिक्स का आवरण चित्र: मेरे मित्र कॉमिक वर्ल्ड के सौजन्य से 

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