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Monday, October 27, 2008

रोचक वेताल कथा साँपों की देवी का दूसरा भाग (१९८८ की इंद्रजाल कॉमिक्स से)

कहानी का दूसरा भाग प्रस्तुत करने में कुछ देर हुई, उसके लिए खेद है, पर आशा यही है कि इस रोचक कथा का आनंद लेने के बाद आप सभी लोग अपनी नाराजगी भूल जायेंगे

ये कहानी इंद्रजाल कॉमिक्स में १९८८ में छपी थी. केवल दो वर्ष बाद, यानी १९९० में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इंद्रजाल कॉमिक्स का प्रकाशन बंद कर दिया. प्रशंसकों के लिए ये किसी बड़े सदमे से कम स्थिति नहीं थी, क्योंकि तब भी ली फाक और साय बेरी वेताल की जबरदस्त कहानियाँ रच रहे थे (प्रस्तुत कहानी एक उदाहरण है). उसके बाद के वर्षों में भी किंग फीचर्स के लिए इन शानदार कलाकारों ने बढ़िया काम जारी रखा लेकिन वह कभी हिन्दी के पाठकों तक सही रूप में नहीं पहुँच पाया.

डायमंड कॉमिक्स ने १९९० में वेताल और मैन्ड्रेक की कहानियो के अधिकार खरीद लिए. लेकिन डायमंड का स्तर कभी भी इंद्रजाल के आस पास भी नहीं पहुँच पाया. डायमंड ने अधिकतर वेताल की पुरानी कहानियाँ ही पुनः प्रकाशित कीं, केवल चार-पाँच को छोड़कर जो नब्बे के दशक की ही थीं. उनके हिन्दी अनुवाद का स्तर बहुत निम्न कोटि का था और अपने छोटे आकार (डाइजेस्ट फॉर्म) में फिट करने के लिए उन्होंने कॉमिक्स के पेनल्स की बेदर्दी से कांट-छाँट की, जिससे और भी मजा जाता रहा.

खैर, फिलहाल तो आप इस कहानी का आनंद लीजिये. यहाँ इस कॉमिक्स का डाउनलोड लिंक भी साथ में दे दिया है, चाहें तो अपने कंप्यूटर पर डाऊनलोड कर इत्मीनान से पढ़ें. कॉमिक रीडर सॉफ्टवेयर के बारे में तो अब सभी जानते ही हैं, इसे यहाँ दायीं ओर दी गयी लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं.

 इंद्रजाल कॉमिक्स V25N28 साँपों की देवी (भाग 2) - वेताल, 1988















(३२ पेज, १२८० px वाइड, ११ एम् बी)

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Monday, September 29, 2008

साँपों की देवी (भाग १) - एक शानदार वेताल कथा वर्ष १९८८ से

काफी लंबे अन्तराल के बाद आज मैं लेकर आया हूँ एक और वेताल कथा. ये इंद्रजाल कॉमिक्स के प्रकाशन के अन्तिम दिनों से है, यानी कि १९८८ से. कहानी दो भागों में है और आज इसका पहला भाग प्रस्तुत कर रहा हूँ.

घने जंगल में कई कबीले निवास करते हैं जो आपस में अविश्वास के माहौल में जीते हैं. अक्सर उनमें छोटी-मोटी तकरार होती रहती है जिसके कभी भी बड़ी लडाई में बदल जाने का अंदेशा बना रहता है. वेताल ने नियम बनाकर आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाने का प्रावधान बनाया हुआ है जिसे वेताल शान्ति कहा जाता है लेकिन कभी कभी स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि समूचे जंगल की शान्ति को खतरा पैदा हो जाता है.

कुछ ऐसी ही कहानी है प्रस्तुत कॉमिक्स में. कोई सौ वर्ष पूर्व जंगल में निवास करने वाले एक समृद्ध कबीले 'दोनैइ' के लोगों को बाकी जंगलवासियों ने ईर्ष्या के चलते रहस्यमय और खतरनाक दलदल की और धकेल दिया था. जंगलवासियों का ऐसा सोचना था कि दोनैइ लोग दलदल में धंस कर समाप्त हो गए. लेकिन असल में ऐसा हुआ नहीं. कुछ दोनैइ बचे रहे और उनके वंशज अब उस ज्यादती और अत्याचार का बदला लेने के लिए तैयार हैं. एक नायाब तरीके से वे अन्य कबीले वालों को आपस में लड़ाकर कमजोर करने का षड्यंत्र रचते हैं. वेताल के लिए इस रहस्य का पता लगाना और उसकी सच्चाई सामने लाना चुनौती भरा काम है. आगे आप ख़ुद पढ़िए.

इंद्रजाल कॉमिक्स V25N27 साँपों की देवी (भाग १) - वेताल कथा (वर्ष १९८८)
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