पिछली कॉमिक पोस्ट पर आपकी सराहनापूर्ण टिप्पणियों से उत्साहित होकर एक और वेताल कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ. आशा है आप सभी को पसंद आयेगी और कुछ पुरानी यादों के तार झनझनाने में मददगार होगी.
सन १९७६ में इंद्रजाल कॉमिक्स में पहली बार प्रकाशित इस कहानी में एक रोचक वेताल कथा के सभी गुण मौजूद हैं. रहस्य, रोमांच और थोड़ा सा रोमांस भी. ये कहानी डायना से वेताल की शादी से पहले की है. मैंने इसे ६ या ७ वर्ष की उम्र में पढ़ा था और तभी से ये मेरी पसंदीदा वेताल कथाओं में से है. साय बैरी की ड्राइंग्स तो बस कमाल की हैं.
कॉमिक्स ३२ वर्ष पुरानी है इसलिए प्रारम्भ के दो तीन पृष्ठ बहुत अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं, इसके लिए माफी, लेकिन बाकी पृष्ठों के साथ कोई समस्या नहीं है. इस कॉमिक को मैंने कोई वर्ष भर पहले स्केन किया था जब स्केनिंग में हाथ सधा नहीं था, इसलिए पेज रेसोल्यूशन कुछ कम है. बाकी आने वाली कॉमिक्स और भी बड़े आकार में दिखेंगी.
इंद्रजाल कॉमिक्स का एक और अतिरिक्त आकर्षण हुआ करता था बाद के तीन-चार पेज में आने वाले अन्य स्तम्भ जैसे रिप्ले का मानो ना मानो या गुणाकर और चिम्पू जैसी कहानियाँ. इस अंक में इनमें से भी कुछ आपको देखने को मिलेंगी.
और ज्यादा कुछ नहीं कहूँगा. बस ये कॉमिक पढिये और हो सके तो अपनी राय से अवगत कराइए. कोई अन्य सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है.
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15 टिप्पणियां:
अरे वाह, यहाँ तो इन्द्रजाल का खजाना छुपा है, ये मेरी भी पसंदीदा कामिक्स में से थी और लगभग सभी पढ़ी हैं लेकिन अब दोबारा पढ़ने को मिल गयी।
धन्यवाद जी.
तपाक से डाउनलोड किया। अब अगली पोस्ट का इन्तजार।
Indeed a very good story to read in,its next part was published in issue # 269 "Daitya Se Samna".
I think you are missing its front and back cover pages as the front cover is taken from CW's Hindi Cover post.If you wish then i can send scans of both side of front and back cover pages,so that they can be made available for all visitors here.
@तरुण जी: आपके रूप में एक और इंद्रजाल प्रेमी को पाकर प्रसन्नता हुई. आपका स्वागत है.
@संजय जी: स्वागत है.
@ज्ञानदत्त जी: खुशी हुई ये जानकर. जल्द ही एक और इंद्रजाल आ रही है.
@CW:Nice info. Send the pages ASAP.
ढेरो ढेरो...........................शुक्रिया........
@anurag ji:Thanks. You are welcome.
ati sunder.... shukriya
saif
@Saif: Thank you Saif. Nice to see you here.
प्रिय वेताल शिखर जी,
पूरा बचपन ही इन्द्रजाल की बदौलत बीता. हालांकि अभी भी फैंटम की आयातित कॉमिक्स उप्लब्ध है लेकिन उसमे वो मज़ा कहां?
@ सुरेश वर्मा जी: आपका स्वागत है. बिल्कुल सही कहा आपने. १९९९ में ली फाक के ना रहने के बाद से फैंटम की कहानियो के स्तर में गिरावट आयी है. नए लेखक वैसी शानदार कहानियाँ नहीं लिख पा रहे.
इंद्रजाल की तो बात ही निराली थी. उस वक्त दुनिया भर में जितनी जगह भी फैंटम कॉमिक्स के रूप में प्रकाशित होता था उनमें इंद्रजाल कॉमिक्स का स्तर किसी भी तरह किसी और कॉमिक्स से कम नहीं था.
Bahut Khoob. Padhkar bachpan ke din yaad aa gae hain.
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