इंद्रजाल कॉमिक्स के नाम के साथ बचपन की कितनी ही सारी मधुर स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं. याद करें तो गुजरे जमाने के कितने ही खूबसूरत पल आंखों के सामने छिटक जाते हैं. बीते हुए कल की उन सुहानी यादों में इंद्रजाल कॉमिक्स का जादुई संसार पूरी शिद्दत के साथ उभरता है.
कोई छैः सात वर्ष की उम्र से ही इनके रंगीन संसार में भटकना शुरू कर दिया था. इस मायाजाल की भूल भुलैया में सुध-बुध खोकर डूबे रहने की स्मृति आज भी होठों पर मुस्कान ले आती है. वो भी क्या हसीन दिन होते थे. न गर्मियों की लू-लपट की चिंता न सर्दियों की ठिठुरन का अहसास, हर नए अंक के लिए बुक शॉप पर दस्तक देने के लिए नियमबद्ध रूप से मौजूदगी होती ही थी. ये कहानी सिर्फ़ मेरी नहीं है, बल्कि एक पूरी पीढ़ी इंद्रजाल के जादुई स्वप्नलोक में डूब कर अपने आप को भूलती रही है.
ये ब्लॉग एक आमन्त्रण है उन सभी के लिए जो जिंदगी में कभी इंद्रजाल के इस नशे का अहसास कर चुके हैं. आइये इस दौड़ती भागती, थकती हांफती जिन्दगी से दो पल सुकून के तलाशें और डूब जाएँ उन्हीं नशीले लम्हों के आगोश में फ़िर कुछ देर के लिए. उन सभी का भी स्वागत है जो इसके स्वाद से वंचित रहे और जानना चाहेगे की आख़िर क्या था इंद्रजाल की इतनी मकबूलियत का राज.
मार्च १९६४ से प्रारम्भ हुई इस यात्रा ने पूरे छब्बीस वर्षों तक पूरे हिंदुस्तान को अपने जादू में जकड़े रखा. कितने ही दीवाने सुध-बुध भूल कर उस अद्भुत और रहस्यमय दुनिया में खोये रहे जो बिखरी थी इसके पन्नों की निराली छठा में. कुल ८०३ अंक प्रकाशित हुए जिनमें से आधे से ज्यादा में सर्वप्रिय नायक वेताल की कहानियाँ थीं. ली फाक के रचे इस शानदार चरित्र की गाथाएं दुनिया के अस्सी से भी अधिक देशों में एक साथ प्रकाशित होती थीं. ली फाक का ही एक अन्य चरित्र मैन्ड्रेक भी लोकप्रियता में कोई पीछे नहीं था. इनके अतिरिक्त अन्य विश्व-स्तरीय कहानियाँ के बीच मौजूद था नितांत देसी चरित्र बहादुर. कई अंक भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाशित किए गए, उनकी चर्चा फ़िर कभी.
दोस्तों, अब तैयार हो जाइए वेताल, मैन्ड्रेक, फ्लेश गोर्डन, बहादुर, रिप किर्बी, बज़ सायर, गार्थ, कैरी ड्रेक जैसे नायकों के जलवों से एक बार फ़िर रूबरू होने के लिए. जी हाँ, आपका स्वागत है इस दिलफरेब यात्रा में जहाँ हम विस्तारपूर्वक बात करेंगे इंद्रजाल कॉमिक्स के सभी प्रकाशित अंकों की प्रकाशन के क्रम में. चर्चा की जायेगी कहानी की, लेखक और ड्राइंग कलाकारों की और साथ ही अन्य रोचक जानकारियां प्रस्तुत की जायेंगी चित्रों के साथ. इसके अलावा हम जानेंगे इंद्रजाल कॉमिक्स के पाठकों की अपनी अपनी कहानी, इंद्रजाल कॉमिक्स के प्रति उनकी दीवानगी के किस्से और, और भी बहुत कुछ.
तो बस थोड़ा सा इन्तजार कीजिये. पलट गिनती चालू हो चुकी है, टेक ऑफ़ बस होने को है.
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15 टिप्पणियां:
वाह! वाह!
क्या बात है... पुरानी यादें फ़िर ताजा होने वाली है लगता है। चलता फ़िरता प्रेत, मैण्ड्रेक-लोथार, और बहादुर! खुब पढी हैं भई ये कॉमिक्सें। आज भी कहीं दिख जाती है तो पढे बिना नहीं छोड़ता।
क्या यहाँ पुरानी कॉमिक्सें भी रहेंगी, पढने के लिये??
हम तो आते रहेंगे अब यहाँ!!
बहुत सुन्दर ! आपका प्रयास सराहनीय है । अगर कामिक्स भी पढ़ने को उपलब्ध हो तो सोने में सुहागा ! आपके प्रयास हेतु शुभकामनाएँ !
धन्य हो श्रीमान...हम तो अभी से लाइन में लग गए हैं...सन १९६५ का जिक्र है मैं जयपुर से देल्ही जा रहा था रेल में, तब वहां स्टेशन की एक बुक स्टाल से पहला इंद्रजाल कामिक्स खरीदा और उसके बाद बेताल.....याने चलता फिरता प्रेत, गुर्रण, खोपडी नुमा गुफा, तूफ़ान और शेरा का ऐसा दीवाना हुआ की पूछिए मत. ऐसा मजा फ़िर कभी किसी पुस्तक को पढ़ कर नहीं आया...आप ये श्रृखला शुरू करके वाकई बहुत महान काम कर रहे हैं...बस अब देर न कीजिये और शुरू हो जाईये...
नीरज
भाई खूब। ब्लाग सुंदर बनाया है। ठीक कामिक्स की तरह। हम फिदा हैं। लाइए हर अंक की कहानी हम पढ़ने को बैठे हैं।
ब्लॉग की सज्जा वाकई आकर्षक है।
चचा्र भी करें पर जितनी हो सकें कामिक्स भी ठेलें।
वाह जी वाह,,, बैठे है जी.. चटाई बिछा के..
जियो हजूर जियो!
अपन भी पंखे हैं इन कामिक्स के तो।
यह सोच कर कई सीडी शॉप छान मारा कि शायद हॉलीवुड में अन्य कामिक्स हीरो की तर्ज पर फैण्टम पर आधारित फिल्म बनी हो।
हजूर हो सकें तो कामिक्स भी ठेले यहां, अपन लपकने को लपक के तैयार बैठे हैं
In comics ke chaskon men to kai baar school men fail hote hote bache
थेरोन..थेरोन.. मैं पहुंचा तुम तक [ :-)] - साभार - मनीष
वाह! शुरुआत करना फ़ैंटम से और जबतक वो खत्म ना हो किसी और का नंबर नहीं लगाना!! :)
ham bhi baith gaye hai bandhu....bas ab shuru kariye....
बहुत ही प्यारा. आभार इंद्रजाल का स्वपन लोक दिखाने के लिए. मैं भी बचपन में इस लोक में जो कैद हुआ...तो आज तक...इसकी कोमल जंजीरों में ख़ुद को गिरफ्त पता हूँ.
bahut hi punya ka kaam kar rahe hai aap..bhagwan aapko aise hi sad buddhi deta rahe.
Waiting anxiously!
तैयार हैं स्वागत के लिए.
are u at face book?
if yes then plz add me as a friend
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