Friday, August 7, 2009

प्रोफ़ेसर का रहस्य (कहानी), एपिसोड ०२: "बो-स्ट्रीट"

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पिछली कड़ी:
एपिसोड नं. ०१: "आमंत्रण-पत्र"
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 (अब आगे)

मॉरिसटाउन, बंगाला के पश्चिमी तट पर बसा हुआ आधुनिक शहर, गगनचुम्बी इमारतों और सभी आधुनिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण और जो हरेक लिहाज से दुनिया के किसी भी बड़े शहर का मुकाबला करने में सक्षम है. यहां बसता है एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज जो अपने प्रिय राष्ट्रपति डॉ. लुआगा की देख-रेख में तेजी से उन्नति के पथ पर अग्रसर है.

बो-स्ट्रीट, मॉरिसटाउन का एक प्रसिद्ध इलाका है जहां शहर की कई नामी-गिरामी हस्तियां निवास करती हैं. बो-स्ट्रीट दरअसल एक चौड़ी सी सड़क है जो काफ़ी लम्बाई तक सीधी चलती जाती है और फ़िर कुछ इस प्रकार से दो बार घूमती हुई वापस आकर मिलती है कि एक धनुष की सी आकृति बनती है. इसीलिये ये नाम. सड़क के बीच में घिरे हुए दोनों हिस्सों में दो बड़े और खूबसूरत पार्क्स हैं जो पूरी तरह हरी घास की चादर से ढंके रहते हैं. करीने से कटी हुई झाड़ियों और टहलने के लिये तैयार किये गये ग्रेवल के साथ किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे फ़ूलों के पौधे जहां पार्क्स को हसीन और दिलकश रंगत प्रदान करते हैं वहीं कई तरह की सुगंध भी हवा में बिखरी रहती हैं और जो यहां आने वाले सैलानियों का मन मोहती रहती हैं. पार्क्स के ऊंचे पेड़ आसमान की ऊंचाई नापने की जद्दोजहद में व्यस्त प्रतीत होते हैं.

सुबह-शाम बच्चों की कई टोलियाँ यहां धमा-चौकड़ी मचाती रहती हैं. दिन के समय बच्चे कम नजर आते हैं और शोर-शराबा भी कम ही होता है. दरअसल ये समय होता है जब कई प्रेमी जोड़े यहां वहां बैठे नजर आते हैं. अपनी रोमांटिक दुनिया में डूबे ये लोग अन्य सैलानियों से बिल्कुल अनजान प्रतीत होते हैं या कहिये कि उनकी वहां उपस्थिति से पूरी तरह लापरवाह. प्रेम से गुटरगूं करते इन जोड़ों के लिये ये पार्क्स आदर्श स्थल कहे जा सकते हैं. समुद्र तट यहां से काफ़ी नज़दीक है और गर्मियों के दिनों में जब शीतल पवन समुद्र से तट की ओर चलती हैं तो पार्क में सैलानियों की संख्या में और बढ़ोतरी हो जाती है. देर रात तक यहां लोगों की भीड़ देखी जा सकती है.

सड़क के एक ओर विशालकाय भवन निर्मित हैं जिनकी बनावट और आकार यहां के निवासियों की समृद्धि की दास्तां आप बयान करते हैं. मकानों के आगे के हिस्से में छोटे-छोटे बगीचे हैं जहां मकान स्वामियों ने अपनी-अपनी रुचि के अनुसार पौधे, फ़ल, सब्जी आदि लगा रखे हैं. किसी-किसी घर के बाहर झूले आदि भी देखे जा सकते हैं. कुल मिलाकर बो-स्ट्रीट एक ऐसी जगह है जो किसी के लिये भी रिहाइशी तौर पर एक आकर्षण का बिन्दु हो सकती है.

प्रोफ़ेसर शास्त्री का घर सीधी वाली सड़क के लगभग मध्य में स्थित है. मेरा प्रोफ़ेसर से कभी व्यक्तिगत तौर पर मिलना नहीं हुआ लेकिन वे इतनी प्रसिद्ध हस्ती हैं और उनके बारे में समाचार-पत्रों में इतना कुछ छ्पता रहता है कि मुझे वे कभी भी अपरिचित इंसान नहीं लगे. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी बराबर उनके बारे में समाचार देता रहता है. मेरा अपना चैनल, मिस्ट्री चैनल, भी उनके बारे में अक्सर कोई न कोई रिपोर्ट देता ही रहता है. प्रोफ़ेसर शास्त्री मॉलेक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया भर में पहचाने जाते हैं. नोबल पुरस्कार के लिये भी नामित हो चुके हैं. बंगाला के लिये तो वे गर्व का विषय हैं ही. लेकिन वास्तव में उनके जिस रूप को लेकर मुझे मिलने की उत्कंठा थी वह यह है कि प्रोफ़ेसर के बारे में कई तरह की अजीब बातें भी दबी ज़बान से की जाती हैं. जैसे कि वे किसी अत्यंत गोपनीय प्रयोग में संलग्न रहे हैं, या शायद अब भी हैं. उनके संबंध कुछ अजीब सी जंगली जातियों से हैं और वे अक्सर गायब होकर जंगल में चले जाते हैं. कभी-कभी उनके निवास के आस-पास कुछ अजीब सी वेशभूषा में जंगली लोग देखे जाने का भी दावा किया जाता रहा है पर इन बातों की कभी पुष्टि नहीं हो सकी और ये सब बातें महज अफ़वाहों का दर्जा पाकर ही रह गयीं.
(अभी जारी है) 

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अगली कड़ी:
एपिसोड नं. ०३: "रवानगी"
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2 टिप्पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी said...

कथा सुंदर तरीके से आगे बढ़ रही है।

Aditya Gupta said...

very intresting......