Saturday, December 27, 2008

आतंकवादियों द्वारा वेताल परिवार का अपहरण - वर्ष १९८३ से एक शानदार इन्द्रजाल कथा - "अजेय वेताल"

१९६२ में विल्सन मकॉय के न रहने पर साय बैरी ने वेताल कथाओं के चित्रांकन कार्य का दायित्व संभाला. उन्होंने ली फ़ॉक के साथ मिलकर वेताल के रहस्यमय लोक में अनेक नई अवधारणाओं का समावेश किया. सत्तर के दशक में दुनिया भर में वेताल की लोकप्रियता शिखर पर थी. जोश से भरे हुए फ़ॉक और बैरी मिलकर एक से बढ़कर एक कहानियाँ रच रहे थे.

ये वो समय था जब दुनिया के कई देशों में सैनिक शासकों का आगमन हो रहा था और इन देशों में लोकतंत्र के समर्थक कुचले जा रहे थे. वेताल कथाएँ भी इस उथल-पुथल भरे समय में इस सब से अछूती नहीं रहीं. बंगाला और आइवरी लाना नामक दो देशों की कल्पना की गयी और नये प्रकार के शहरी खतरों का सृजन किया गया. प्रस्तुत कहानी में कुछ ऐसी ही स्थितियाँ नजर आती हैं जब कुछ आतंकवादी, वेताल के समस्त परिवार का अपहरण कर लेते हैं और फ़िरौती में अपने कुछ साथियों की रिहाई मांगते हैं. वेताल के लिये एक और कार्य, और इस बार उसके व्यक्तिगत हित भी जुड़े हुए हैं.

सर्वप्रथम यह कहानी एक सण्डे स्ट्रिप के रूप में वर्ष १९८२ में प्रकाशित हुई थी और उसके अगले वर्ष १९८३ में इन्द्रजाल कॉमिक्स में भी प्रकाशित हुई. इस दौरान भारत में पंजाब, अलगाववाद की आग में सुलग रहा था. आतंकवादी शब्द जो कि अब बड़ा ही आम सा शब्द हो गया है, उन दिनों सुनने में आना शुरू ही हुआ था. इस कॉमिक्स मे इस शब्द को देखा जा सकता है.

पर क्या शानदार दिन थे उस पीढ़ी के बच्चों के लिये. वेताल जैसे महानायक की कहानियाँ एक दूसरे ही लोक की सैर करा देती थीं. टीवी वगैरह भी नहीं था, तो ऐसे में इन विश्वस्तरीय कहानियों में रोमांच के पल ढूढना एक बड़ा ही मनोरंजक शगल हुआ करता था. हर सात दिन में एक नयी इन्द्रजाल कॉमिक्स बाज़ार में आती थी और उसे पढ़कर खत्म करने के साथ ही नये अंक की प्रतीक्षा प्रारम्भ हो जाती थी.

आप आनंद लीजिये इस मजेदार कहानी का.

इन्द्रजाल कॉमिक्स V20N24 "अजेय वेताल" (वर्ष १९८३)




Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket Photobucket


(३२ पृष्ठ, १२०० पिक्सल वाइड, ९.५ ऐमबी)


एक आवश्यक बात
इस ब्लॉग को प्रारम्भ करते समय मेरा विचार यहां कॉमिक्स पोस्ट करने का नहीं था बल्कि इन्द्रजाल कॉमिक्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी बांटने/लेने और चर्चा करने का था. इच्छा यही थी कि वे सभी व्यक्ति जिनके जीवन के कुछ न कुछ पल इन अविस्मरणीय कहानियों और चरित्रों से कहीं न कहीं जुड़े हुए महसूस करते हैं, अपनी स्मृतियाँ ताजा करेंगे और सभी के साथ अपने मीठे अनुभवों को बांटेंगे. पर मुझे खेद है कि ऐसा हो नहीं पाया. प्रारम्भ में ही यहां भी कॉमिक्स पोस्ट करने के लिये अनुरोध आने लगे और फ़िर बस यहाँ कॉमिक्स ही पोस्ट होते रह गये. और फ़िर धीरे-धीरे प्रमुख अनुरोधकर्ता भी नदारत हो गये.

नये वर्ष में मैं इस स्थिति में कुछ बदलाव देखने का इच्छुक हूं. अधिक जोर चर्चा पर रहे, ऐसा प्रयास करूंगा, हालाँकि कॉमिक्स भी साथ में आती रहेंगी. आप सभी लोगों से भी इसमें जुड़ने का अनुरोध है. अपनी यादों को हम सभी के साथ शेयर कीजिये. आखिर हम सभी के दिल में कहीं एक छोटा बच्चा छुपा होता है ना.

.

6 टिप्पणियां:

PD said...

sachchi baat kahun to main yahan jaankari ke liye aata hun.. comics padhne ka bahut shaukin hun, magar purane comic character ke bare me bahut kam jaanata hun..
comics ka kya hai, vo to net par dil laga kar dhundho to mil hi jate hain.. aap jankari dijiye, kam se kam main hun use batorane ke liye.. :)

Comic World said...

सुन्दर शब्दो के साथ रोचक भुमिका बान्धी है आपने.वास्तव मे ये चित्रकथा अभी भी सामायिक है क्योकि वर्तमान समय की विसन्गतिया पुर्व की नाल से ही पोशित है.
सार्थक परिचर्चा का अभाव तो हम भी अपने ब्लाग पर झेलते आ रहे है रुचिकर चर्चाओ के अभाव मे.
ली-फ़ाल्क की ये खूबी थी के वो अपनी कहानीयो के background उस समय की ऐतिहासिक घतनाओ के साथ बखूबी पिरोते थे.
बहरहाल,कामिक्स का सफ़र जारी रखियेगा कौन जाने सार्थकता की प्याउ कब मिल जाए.

संजय बेंगाणी said...

यह अंक पढ़ा हुआ था, मगर अब भी पढ़ूँगा. धन्यवाद.

फ्लैश की कॉमिक्श भी बहुत चाव से पढ़ता था. एक समय 22 या 24 (शायद) नायको की कॉमिक्स साप्ताहिक रूप में इन्द्रजाल पर छपती थी. फिर बन्द हो गई. बहादूर व आदित्य भारतीय नायक थे.

PBC said...

Thanks for IJC V20N24 Ajeya Vetaal & V26N20 Ateet Ka Karishma. I was changing flat so unable to thank you before.

Very nice ACK covers. My request to you, pls post all material regarding ACK in ACK blog. It will help all visitors. If you find there was ACK posted by me, don't worry about it. I don't care about comments. You can post separately just after my posts or can edit my post and add there with your name. We are only two active at present, let make it a single blog for ACK.

A Very Happy New Year to you, your family & all visitor of this marvellous blog.

मोहम्मद कासिम said...

hi mere janm se pehle ijc band ho chooki thee ya uplabdh nahi thi . mene kevel raj.diamond, manoj, tulsi adi comics hi padhi the ab icj padkar bhut achha laga . itni achee comics kayon band ho gay
halaki phento falsh mendrek adi diamond me publish hoti hai.

post ke liye sukriya.
i think u need't to post each page seprately just post full comics on mediafire in .cbr

and summry of comics in hindi.

thanks
Kasim
sim786.blogspot.com

THE ASTRO INDIA said...

Dil to bachha hai ji.