Wednesday, December 24, 2008

अमर चित्र कथा - कुछ आवरण पृष्ठ

पिछ्ली पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में मानोशी जी ने अमर चित्र कथा को याद किया. इन्डिया बुक हाउस प्रकाशन से निकलने वाली ये ऐसी चित्रकथा हुआ करती थी जिसे बच्चे से लेकर बड़े तक सभी बड़े चाव से पढ़ा करते थे. आखिर भारत के गौरवशाली इतिहास से परिचय करने का एक बढ़िया माध्यम थीं ये कॉमिक्स (थीं कहना ठीक नहीं है क्योंकि ये अभी भी प्रकाशन में हैं)

इतिहास से लेकर महापुरुषों के जीवन चरित्र तक, मायथॉलॉजी से लेकर हास्य विनोद तक, प्राचीन भारतीय महाकाव्यों से लेकर सुरुचिपूर्ण आधुनिक ग्रन्थों तक का संसार समेटे पाँच सौ के लगभग अमर चित्रकथाएँ आज भी अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

इनमें से कुछ के आवरण चित्रों को सजाया है आज की इस पोस्ट में. आशा है पसन्द आएँगे.

वैसे ये इन्द्रजाल कॉमिक्स से हटकर पोस्ट है पर कभी-कभी कुछ अलग भी चलता है ना.

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2 टिप्पणियां:

Anonymous said...

betal ki kahani mil sakti hai kya,mera bachpan yad aajayega.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

शुक्रिया अमरचित्र कथा के बारे में बताने का। अंगुलिमाल, वसन्तसेना आदि तो जाने कितनी बार पढ़ी थी। अमरचित्रकथा के ज़रिये भारतीय माइथोलाजी के बारे में बहुत कुछ जाना था हमने। ये जानकर अच्चा लगा कि ये अभी भी प्रकाशन में है।